भारत के किन राज्यों में कॉफी का अधिकांश उत्पादन किया जाता है
भारत के दक्षिणी पहाड़ी क्षेत्रों में कॉफी की खेती विशेष रूप से की जाती है। कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में कॉफी का अत्यधिक उत्पादन किया जाता है। कॉफी के पौधों का मात्र एक बार रोपण करने के उपरांत वर्षों तक इससे उत्पादन प्राप्त किया जाता है। इसकी खेती के लिए सर्वप्रथम खेत की मृदा को ढीला करने के लिए जुताई करनी पड़ती है। उस स्तर के इलाके के उपरांत पुनः कुछ दिनों के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें। खेत को एकसार करने के उपरांत चार या पांच मीटर की पंक्ति एवं चार मीटर की पंक्ति की दूरी वाले गड्ढे तैयार करें। प्रत्येक पंक्ति में पौधरोपण किया जाए। जब गड्ढा तैयार हो जाए तब पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद और रासायनिक खाद मृदा में मिला दें। उसके बाद गड्ढे में डाल दें। इन समस्त गड्ढों को भरने के उपरांत सही ढ़ंग से सिंचाई कर दें। गड्ढे में मृदा सही तरह से जम जाए इसके लिए पुनः गड्ढे को ढक दें। पौधे लगाने से एक माह पूर्व गड्ढा तैयार कर लें।
कॉफी की खेती के लिए उपयुक्त तापमान क्या होता है
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, कॉफी का उत्पादन करने के लिए करीब 150 से 200 सेंटीमीटर बारिश पर्याप्त होती है। यह सर्दियों में खेती के लिए अनुकूल नहीं होती है। क्योंकि, ऐसे मौसम में इसके पौधों का बढ़ना रुक जाता है। इसके पौधों की उन्नति और बढ़ोत्तरी के लिए 18 से 20 डिग्री का तापमान उपयुक्त माना जाता है। परंतु, यह गर्मियों में ज्यादा से ज्यादा 30 डिग्री और सर्दियों में कम से कम 15 डिग्री तक सहन कर सकता है।
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भारत की सबसे पुरानी कॉफी कौन-सी है
भारत में कॉफी की विभिन्न किस्मों का उत्पादन किया जाता है। वह विभिन्न प्रकार की मृदा में पैदा की जाती हैं। इसी कड़ी में हम भारत की केंट कॉफी पर प्रकाश डालेंगे, क्योंकि यह भारत की सबसे पुरानी कॉफी मानी जाती है। केरल राज्य के अंतर्गत इसकी सबसे ज्यादा पैदावार होती है। अरेबिका कॉफी को भारत में उत्पादित उच्चतम गुणवत्ता वाली कॉफी कहा जाता है। यह कॉफी समुद्र तल से 1000 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर उत्पादित की जाती है। विशेष तौर से दक्षिणी भारत में पैदा होती है। इसके अतिरिक्त भारत में बाकी अन्य किस्मों की भी कॉफी उत्पादित की जाती है।
बतादें कि, केसर का उत्पादन अधिकतर जम्मू कश्मीर में होता है, जहां केंद्र सरकार द्वारा एक केसर पार्क की भी स्थापना की गयी है, जिसकी वजह से केसर का भाव अब दोगुना हो गया है। केसर का उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पादों में किया जाता है, जिसकी वजह से किसान इसका उत्पादन कर लाखों कमा सकते हैं।
लैवेंडर की खेती
लैवेंडर की खेती भी कोई कम नहीं, लैवेंडर का उपयोग खुशबू उत्पन्न करने वाले उत्पादों में किया जाता है जैसे कि धूप बत्ती इत्र आदि जिनकी बाजार में कीमत आप भली भांति जानते ही हैं। लैवेंडर अच्छी उपयोगिता और अच्छे गुणों से विघमान फसल है जिसकी मांग हमेसा से बाजार में अच्छे पैमाने पर रही है।
अब बात करें मशरूम की तो इसका उत्पादन मात्र १ माह के करीब हो जाता है और इसका बाजार में भी अच्छा खासा भाव मिलता है। इसका जिक्र हमने कुछ दिन पूर्व अपने एक लेख में किया था। लॉकडाउन के समय बिहार में बेसहारा लोगों ने अपनी झुग्गी झोपड़ियों व उसके समीप स्थान पर मशरूम की खेती उगा कर अपनी आजीविका को चलाया था।
कॉफी की खेती
अब हम जिक्र करते हैं, दुनिया भर की बेहद आबादी में सबसे अधिक प्रचलित कॉफी के बारे में। इसकी पूरी दुनिया में खूब मांग होती है, इस कारण से इसका अच्छा भाव प्राप्त होता है। इसलिए किसानों को कॉफी का उत्पादन कर अच्छा खासा मुनाफा कमा लेना चाहिए। कॉफी उत्पादन करने वाले किसान बेहद फायदे में रहते हैं।
माईक्रोग्रीन
माइक्रोग्रीन्स बनाने के लिए के लिए धनिया, सरसों, तुलसी, मूली, प्याज, गाजर, पुदीना, मूंग, कुल्फा, मेथी आदि के पौधों के बीज उपयुक्त होते हैं।माईक्रोग्रीन में इन बीजों को अंकुरित करके फिर बोना चाहिये, अंकुरित पौधों को हफ्ते-दो हफ्ते 4-5 इंच तक बढ़ने देते हैं। उसके बाद कोमल पौधों को तने, पत्तियों और बीज सहित काटकर इस्तेमाल किया जाता है, इसे सलाद या सूप की तरह प्रयोग करते हैं. माइक्रोग्रीन औषधीय गुण से परिपूर्ण होने के साथ ही घर में ताजी हवा का संचार भी बढ़ता है।
आपको बतादें कि उपरोक्त में बताई गयी सभी फसलों का उत्पादन कर किसान कुछ समय के अंदर ही लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं और अपनी १ या २ एकड़ भूमि में ही अच्छी खासी पैदावार कर सकते हैं। किसानों को अपनी अच्छी पैदावार लेने के लिए बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे कि बारिश, आंधी-तूफान एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं के साथ साथ फसल का उचित मूल्य प्राप्त न होना जैसी गंभीर समस्याओं से जूझने के साथ ही काफी जोखिम भी उठाना पड़ता है। अब मौसमिक असंभावनाओं के चलते किसान कम भूमि में अधिक उत्पादन देने वाली फसलों की ओर रुख करें तो उनको हानि की अपेक्षा लाभ की संभावना अधिक होगी। इस प्रकार का उत्पादन उपरोक्त में दी गयी फसलों से प्राप्त हो सकता है, जिसमें कॉफी, लैवेंडर, केसर, माइक्रो ग्रीन्स एवं मशरूम की फायदेमंद व मुनाफा देने वाली फसल सम्मिलित हैं। किसान इन फसलों को उगा कर अच्छा खासा मुनाफा उठा सकते हैं, इनमे ज्यादा जोखिम भी नहीं होता है, साथ ही इन सभी फसलों का बाजार मूल्य एवं मांग अच्छी रहती है।